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अपने दौर की कहानियां कैसे लिखे?

अपने दौर की कहानियां कैसे लिखे?
दोस्तों वर्तमान समय में 'हिन्दी' ने 'सजीव परिचय' देते हुए अपने आप मे बदलाव लाया है। ऐसे में लेखकों ने भी हिन्दी की 'सजीव यात्रा' में सहयात्री बन कर बदलाव लाया।
हमारा यह लेख विभिन्न बिंदुओं की मदद से समझायेगा की कैसे हम अपने दौर की नयी कहानियां लिख सकते हैं।
ट्रेंडिंग संवेदनशील मुद्दों पर लिखे -
नए दौर की कहानियों में जान डालने के के लिए यह जरूरी है की उसमें नए दौर के संवेदनशील मुद्दों पर उदाहरणतः निष्कर्ष हो।
गैरजरूरी रूढ़िवादी परम्परा पर चोट -
कहानियों का विषय यह भी हो सकता है की वर्तमान समय में उन रूढ़िवादी परम्परा की जरूरत नही है जो पूर्व में में हमारे पुरखों ने समयानुसार बनाया था।
अतीत से आधुनिकता का परिचय -
हमारे कहानियों में बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचारात्मक आधार हो सकता है।
इस प्रकार लेखक अपने दौर की कहानियां लिख सकते हैं।
अपने दौर की कहानियां कैसे लिखे?
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